डॉक्टर रेप-मर्डर केस में एक नया मोड़ आया है। आरोपी संजय रॉय के खिलाफ कोर्ट ने पॉलीग्राफ टेस्ट (लाई डिटेक्टर टेस्ट) की मंजूरी दे दी है। इस टेस्ट के जरिए मामले से जुड़े कई अहम सवालों के जवाब मिलने की उम्मीद है।

नई दिल्ली: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज (RG Kar Medical College) में महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप और मर्डर (Doctor Rape-Murder) मामले में एक महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। कलकत्ता हाई कोर्ट ने सीबीआई को मुख्य आरोपी संजय रॉय के पॉलीग्राफ टेस्ट की अनुमति दे दी है। सीबीआई ने पहले साइकोलॉजिकल टेस्ट करवाया था, जिसके बाद उन्होंने अदालत से पॉलीग्राफ टेस्ट की अनुमति मांगी थी। माना जा रहा है कि इस टेस्ट से मामले से जुड़े कई अहम रहस्य उजागर हो सकते हैं।
सीबीआई को संजय रॉय के बयानों में कई विरोधाभास नजर आ रहे हैं, जिससे एजेंसी को शक है कि आरोपी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी छुपा रहा है। अब पॉलीग्राफ टेस्ट के माध्यम से इन संदिग्ध पहलुओं पर और अधिक स्पष्टता मिलने की उम्मीद है।
व्यक्ति की शारीरिक प्रतिक्रियाओं को मापता है यह टेस्ट
पॉलीग्राफ टेस्ट, जिसे लाई डिटेक्टर टेस्ट भी कहा जाता है, एक ऐसा परीक्षण है जो किसी व्यक्ति से प्रश्न पूछे जाने के बाद उसकी शारीरिक प्रतिक्रियाओं को मापता है। इस टेस्ट को केवल कोर्ट और आरोपी की सहमति से ही किया जा सकता है।
स्थानीय मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, पुलिस द्वारा शुरुआती पूछताछ के दौरान संजय रॉय ने अपना अपराध कबूल कर लिया था। रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया है कि रॉय को अपनी हरकतों का कोई पछतावा नहीं था, और उसने बेपरवाही से कहा था, “अगर तुम चाहो तो मुझे फांसी पर लटका दो।” इसके अलावा, यह भी सामने आया है कि आरोपी के मोबाइल फोन में भारी मात्रा में अश्लील कंटेंट पाया गया था।
सीसीटीवी फुटेज और ब्लूटूथ हेडसेट से मिला था अहम सुराग
इस मामले में संजय रॉय की गिरफ्तारी का आधार अस्पताल परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों से मिले साक्ष्य थे। 9 अगस्त, शुक्रवार की सुबह करीब 4 बजे, रॉय को इमरजेंसी बिल्डिंग में घुसते हुए देखा गया था। कुछ घंटों बाद, उसी बिल्डिंग में महिला डॉक्टर का शव मिला, जिसके बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
इस घटना में एक और महत्वपूर्ण सुराग उस ब्लूटूथ हेडसेट से मिला जो पीड़िता के शव के पास पाया गया था। सीसीटीवी फुटेज में दिखता है कि जब रॉय बिल्डिंग में घुसा, तो उसके गले में हेडसेट था, लेकिन बाहर निकलते समय वह हेडसेट गायब था। बाद में, पीड़िता के शव के पास जो हेडसेट मिला, वह रॉय के फोन से जुड़ा हुआ था, जिससे इस मामले में रॉय की संलिप्तता और पुख्ता हो गई।
संजय रॉय कोलकाता पुलिस के साथ वॉलंटियर के रूप में काम करता था। ये वॉलंटियर संविदा कर्मचारी होते हैं, जिन्हें यातायात प्रबंधन और आपदा प्रतिक्रिया जैसे विभिन्न कार्यों में पुलिस की सहायता के लिए नियुक्त किया जाता है।